एक तो हक़ छीन लिया, फिर बात करते हैं,
खेलते हैं जज़्बातों से, फिर कैसा है हाल कहते हैं,
जाओ कह दो उन बेदर्दों से, बुत-ए-पत्थर नहीं हैं हम,
इंसान हैं..... एहसास रखते हैं।
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खेलते हैं जज़्बातों से, फिर कैसा है हाल कहते हैं,
जाओ कह दो उन बेदर्दों से, बुत-ए-पत्थर नहीं हैं हम,
इंसान हैं..... एहसास रखते हैं।
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