Wednesday, July 22, 2015

Safar hi to hai....

गुज़रे,
हर एक पल के साथ,
लगता है मुझे,
मैं तुम्हे और भी चाहता हूँ ;
संग बिताये हर पल के लिए,
शुक्र अदा करता हूँ ;

एहसास भी है,
महसूस भी करता हूँ ,
साथी मेरा,
दोस्त मेरा,
बस तू ही तो है,

बार बार, हर बार ,
ख्वाब में, उजालों में ,
सूरज में और तारों में,
सिर्फ तुमको ही चुना करता हूँ ;

दौर है कुदरत का,
होते हैं मुश्किल कभी,
हालात भी ऐ हमनवां ;

चलूँगा तेरा साया बन,
कदम हर कदम;

जो भी है,
तेरी मेरी मोहब्बत का,
सफ़र ही तो है.।
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Ehsaas Rakhte Hain..!!

एक तो हक़ छीन लिया, फिर बात करते हैं,
खेलते हैं जज़्बातों से, फिर कैसा है हाल कहते हैं,
जाओ कह दो उन बेदर्दों से, बुत-ए-पत्थर नहीं हैं हम,
इंसान हैं..... एहसास रखते हैं।
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Saturday, January 31, 2015

Dupatta!

Old poem that I wrote few years back.. Wanted to keep it in records. My favorite so far.
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कल दिन गर्म था बहुत,
एक अरसे के बाद बक्से से तुम्हारा दुप्पट्टा निकाला,
उस पर सोंधी सी महक थी नारियल के तेल की,
बस, गर्मी में चेहरे पर लपेट कर ,
मोटरसाइकल चलाता रहा,
और नारियल के तेल की महक लेता रहा,
लगा, तुम पीछे ही बैठी हो,
मेरे कंधे पे सर रख कर,
और मैं गधा, तुम्हें यूँ ही झिड़क दिया करता था,
कि ये चिपके हुए बाल क्यूँ रखा करती हो,
माँ !
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Cry-Baby to Try-Baby

 I joined Toastmasters last year, as I always wanted to work on my public speaking skills. The first speech in the Toastmasters club is an I...